मोटापा तमाम बीमारियों को न्योता देता है।कुछ लोग मोटापे को अच्छीसेहत की निशानी मानकर चलते हैं लेकिन मोटापा एक अभिशाप स्वरूप है जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।और जब यही मांसल देह एक सीमा से आगे निकल जाये तो मोटापे का कारण बन जाती है।
मोटापे का कारण
आधुनिक जीवन शैली,फास्ट फूड लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं उनमें उपस्थित अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट तथा वसा शरीर का मोटापा बढा देता है।फास्टफूड की क्षेणी में आने वाला व्यंजन जिसमें कार्बोहाड्रेट,वसा तथा शर्करा अधिक मात्रा में होते है और रेशे (फाइबर )विटामिन तथा खनिज कम मत्रा में होते हैं इसमें-पिज्जा,बर्गर,पेटीज,पेसट्री,केक ,चाउमिन,चिप्स,चॉकलेट,कोल्ड्रिंक।इसमें कैलोरी अधिक तथा पोषक तत्व न के बराबर होते हैं जो बच्चों को थुलथुल बनाता है।इस तरह अत्याधिक भोजन करना तथा श्रम या व्यायाम बिल्कुल न करना मोटापे को बढावा देता है।
अत्याधिक मीठे का सेवन भी मोटापे को बढाने का एक विषेश कारण है।इसके अलावा थायरॉयड,मधुमेह में लेने वाली इंशुलिन,गर्भनिरोधक दवाएं भी मोटापे को बढाती है।गर्भावस्था तथा प्रसव के बाद के गरिष्ठ खानपान तथा विश्राम से मोटापा बढता है।
मानसिक तनाव भी पाचन तंत्र तथा हार्मोन के स्त्राव पर बुरा प्रभाव डालती है जिससे शरीर में वसा का जमाव बढता है।
मोटापे के कई रूप होते हैं
एक तरह का मोटापा, जिनकी तोंद बढ़ जाती है,(पेट)बाकी के हिस्से पर मोटापा नहीं होता ऐसे लोगों को पेट से संबंधित कई बीमारियां हो जाती हैजैसे भूख अधिक लगना,एसिडिटी होना यह मोटापे की शुरूआत है ।ऐसे में लोगों को पित्ताशय में पथरी बनने की शिकायत भी देखी जाती है।
दूसरी तरह का मोटापा,
जिसमें पेट की अपेक्षा जांघों कथा नितंबों ,कूल्हों, पर चर्बी अधिक जमती है इस तरह का मोटापा ज्यादातर महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है।ऐसे लोगों को गठिया, आर्थराइटिस का सामना करना पड़ सकता है।जब तक तोंद आवश्यकता से अधिक नहीं निकलती तब तक व्यक्ति को मोटापे का एहसास नहीं हो पाता।जिन महिलाओं के पेट अधिक निकलते हैं उन महिलाओं में एस्ट्रोजन के कारण वजन तेजी से बढ़ने लगता है।ऐसी महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर का खतरा बढ़ता है।
तीसरे तरह का मोटापा,
कुछ लोगों में मोटापे का असर उनके पूरे शरीर पर देखने को मिलता हैयानि उनका शरीर पूरा गोल मटोल होता है।उनके गाल भी चर्बी से भरे लटकते रहते हैं।गर्दन पर चर्बी चढती है ।मोटापे के कारण कुछ महिलाओं के स्तन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते है जो लटकने लगते हैं देखने में बेढ़ंगे लगते हैं।
कुछ मोटापा आमतौर पर बचपन से ही शुरू हो जाता है क्योंकि ऐसे बच्चे शुरू से ही ज्यादा खाने के आदी बन जाते हैं।इनमें से वंशानुगत मोटापा लोगों को डायबिटीस, डिप्रेशन देती है।मानसिक तनाव से भरी जिंदगी गुजारते लोगों में डिप्रेशन के कारण एंड्रीनेलिन जैसे हार्मोन का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है और उनकी भूख बढ़ जाती है जिससे वे बार-बार या ज्यादा खाने के शिकार बन जाते हैं जिसकी वजह से मोटापा बढ़ता है।
मोटापे से होने वाली परेशानियां–
शरीर पर मोटापे का प्रभाव अलग अलग अंगों पर अलग अलग तरह से असर डालता है।मोटापे से पीडित लोगों के खून में ग्लूकोज के साथ-साथ बुरी माने जाने वाली चर्बी(bad cholesterol) का स्तर सामान्य से ज्यादा बना रहने लगता है इससे खून में ग्लूकोज और बैडकोलेस्ट्रॉल परस्पर संयुक्त होकर ऐसे कणों में बदल जाते है जो उनकी रक्तवाहिनियों की अमदरूनी सतह पर परत के रूप ने जमने लगते है नतीजा रक्तवाहिनियां मोटी तथा संकरी होती जाती है और उनमें रक्त का प्रवाह धीमा पडने लगता है। रक्तवाहिनियां अपनी स्वाभाविक लचक खो देती हैं।ऐसा जब ह्रदय को रक्त पहुँचाने वाल धमनियों में होता है तो उसके कारण ह्रदय रोग की शुरूआत होने लगती है। ब्रिटेन के जानेमाने ह्रदय रोग विषेशज्ञ डॉक्टर रॉबिन्सन के अनुसार मोटापा उच्चरक्तचाप का प्रमुख कारण है।आगे चलकर मस्तिष्क से संबंधित खून की नलियों के फटने या खून के रिसाव के कारण लकवा मारने की संभावना भी बढ़ जाती है।
मोटापे तथा डायबिटीस, (मधुमेह) का आपस में चोली दामन का संबंध होता है। डायबिटीस के दौरान शरीर में ग्लूकोज का इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं हो पाता और ग्लूकोज चर्बी में बदलकर शरीर के अंदर जमा होने लग जाती है।विशेषज्ञ मोटापे को अधिकतर डायबिटीस के पूर्व संकेत के रूप में देखते है।
जोडों की बीमारी,
मोटापा बढ़ने पर शरीर का सारा भार हमारे पैर यानि पंजों, टखनोंपर, कूल्हों के जोडों पर पडता है अधिक वजन ढोते रहने के कारण हड्डियां धीरे धीरे भुरभरी होने लगती हैजिससे उन जोडों में धीरे धीरे अस्थिक्षय (हड्डियों में कमजोरी तथा टूटफूट) आस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण पैदा होने लगते हैं। आस्टियोआर्थराइटिस में जोडों में ऐंठन युक्तसूजन ,दर्द बना रहता है जिससे लोगों में चलना फिरना दूभर हो जाता है।बोन फ्रेक्चर तक का खतरा बढ़ जाता है और हड्डियां जुडने में समय अधिक लगता है।
पीठ का दर्द, अधिक मोटे लोगों में शरीर का उपरी हिस्सा ज्यादा भारी होता है जिसकी वजह से कमर में झुकाव होने लगता है जिसके कारण मोटे लोगों में प्राय पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत होने लगती है।
हार्निया, मोटेलोगों में हार्निया संबंधित शिकायत सामान्य लोगों के मुकाबले दो गुना ज्यादा होती है ।कारण मोटे लोगों मेंउनके स्नायु तंन्तु कमजोर पडने से ढीले पडने लगते है जिससे वह न तो शरीर के आंतरिक अंगो को ठीक से सहारा दे पाते हैंऔर न ही उन्हें अपनी जगह पर स्थिर बनाये रख पाते हैं, जिसकी वजह से आंतरिक अंगों पर चढी परत जरा से झटके से टूटने लगती है जो हार्निया का कारण बनती है।
मोटापे का प्रजनन पर बुरा प्रभाव, मोटापे का लोगों के दाम्पत्य तथा सेक्स जीवन पर काफी प्रभाव पडता है।मोटापे से पीडित महिलाओं में मासिक अनियमितताएं देखने को मिलती है।मोटापे से बांझपन तथा प्रदर रोग की संभावनाएं बढ़ती हैं।मोटापा गर्भधारण में बाधक बनता है।गर्भावस्था में अनेक परेशानियां पैदा करता है ।कारण प्रसव के समय कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है ।अधय्यनों से पता चला है कि मोटी महिलाओं में पहले तो गर्भ धारण करने की संभावनाएं कम हो जाती हैं तथा गर्भपात का खतरा भी बना रहता है।ऐसी महिलाओं को गर्भधारण करते साथ ही डॉक्टरी परमर्श से चलना जरूरी हो जाता है।गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा भी बना रहता है।
सांस तथा दमे की शिकायत की बीमारी,मोटापे के कारण अक्सर लोगों में श्वास संबंधित तकलीफें बनी रहती है कारण है उनका ज्यादा वजन उनकी छाती के पंजर की स्वतंत्र गतिविधियों में बाधा डालने लगता है।ह्रदय की कार्य क्षमता पर दबाव पडता है जिससे सांस लेने तथा छोडने में परेशानी महसूस होती है.सांस फूलती है फेफडों में रक्त का संचार धीमा पडने लगता है.मोटे लोग जरा सा श्रम करने से या चलनें से सीढी चढने से हांफने लगते हैं मोटे लोगों में ब्रेन सेट्रोक का खतरा भी सामान्य लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है । मोटे लोगों के खून में कोलेस्टॉल का स्तर हमेशा ज्यादा ही रहने लगता है इससे उनके दमाग में खून की सप्लाई में रूकावट आने से दीमाग की धमनी फटने अर्थात ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
सर्दियों में मोटापा क्यों बढता है,उर्जा से भरपूर आहार मोटापा को बढाता है।सर्दियों में सामान्य आहार के अलावा अन्य उर्जा बढाने वासे वस्तुओं का भी सेवन करते हैं जैसे मूंगफल्ली,गजक,बादाम,काजू, पिस्ता, गरी ,गाजर का हल्वा,घी चुपडी मक्की तथा बाजरे की रोटी ये सारी वस्तुएं हमें अधिक उर्जा देती है जो हमारे शरीरर में वसा के रूप में जमा होकर शरीर का मोटापा बढा देती है सर्दी के कारण हम व्यायाम में भी कंजूसी करते हैं,दूसरा कारण सर्दियों में पानी कम पीते हैं जिसकी वजह से पाचनक्रिया ठीक ढंग से काम नहीं कर पाती है औशरीर से और अनावश्यक तत्वों का निष्काशन ठीक तरह से नहीं हो पाता ।
गर्मियोंमें मोटापा क्यों नहीं बढता,कारण हल्का भोजन ,भोजन के साथ सलाद या फिर भोजन की जगह सलाद भी ले लेते हैं।भोजन के बाद फालतू उर्जा वाली चीजें भी नहीं खाते।प्रति दिनपर्याप्त मात्रा में पानी भी पीते हैं साथ नींबू पानी(शिकंजी)भी लेते हैं।
अब बात करते हैं मोटापे को नियंत्रित रखने वाला आहार के बारे में- कम उर्जा वाले व्यंजनों का सेवन करना जैसे,भुने चने,मूंग दाल,दलिया, बिना घी की मक्की की रोटी खायें, उडद की दाल का सेवन कम करें कारण यह गरिष्ठ होती है।
कोल्डड्रिंक, आइस्क्रीम, पेस्ट्री, पेटीज यानि जंक फूड का इस्तेमाल कम करें ।लंच या डिनर में संतुलित आहार लें जिसमें कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन कम मात्रा में हो ताकि आसानी से पच सके साथ भूख मिटने का एहसास भी हो।
अंकुरित अनाज दालें सुबह नाश्ते में लें जिससे भरपूर मात्रा में विटामिन तथा खनिज प्राप्त होता रहे।यदि मांसाहार हैं तो भुना(rosted) हुआ मांस खायें जिसमें घी तेल कम मात्रा में हो।अधिक चिकनाई युक्त दूध ,दही तथा इससे बना पनीर या पनीर की रोटी या परांठे न खायें।इसके लिये टोफू (Tofu) खा सकते हैं यह सोया मिल्क से बनता है सोया मोटापा कम करने में सहायक है।
मौसमी हरी साग सब्जियों का सेवन करें जैसे,मेथी, पालक, बथुआ, चौलाईसाग जिनमें कैल्शियम अधिक पाया जाता है।मूली,गाजर, टमाटर कच्चा यानि सलाद के रूप में खायें या इसकी रोटी भी खा सकते हैं।इन सब्जियों के रस का सेवन भी कर सकते हैं घर ही में जूस निकाल कर पियें।गाजर में बेटाकैरोटिन अधिक मात्रा में पाया जाता है जो हमारी आंखों केलिये लाभदायक है साथ मोटापा कम करता है। टमाटर में लाईकोपिन होता है ये दोनों ही तत्व अनाक्सीकारक पदार्थ हैं जो फ्री रेडिकल्स से हमारी रक्षा करते हैं।
नींबू का रस गुनगुने पानी में निचोडकर पियें इससे पानी पीने की तासीर बढती है तथा भोजन ठीक तरह से पचकर निष्काशन क्रिया ठीक ढंग से होती है। शरीर हल्का रहता है।सर्दियों में चाय नींबू वाली पियें तो गैस नहीं बनती है।दूध वाली चाय पीने से भूख तथा प्यास दोनों मर जाती है पता भी नहीं चलता।सर्दियों में हर चाय के थोडी देर बाद पानी अवश्य पियें।
व्यायाम कई समस्याओं का हल है, ठंड के दिनों में हम ठंड की वजह से व्यायाम नहीं करते हैं या व्यायाम करने में कंजूसी करते है टहलने से जी चुराते हैं बिस्तर पर पडे रहते हैं जो सेहत के लिये काफी नुकसान देय है।जबकि शरीर को व्यायाम की जरूरत गर्मियों से ज्यादा सर्दियों में अधिक होती हैकारण जाडे में रक्त कुछ गाढा सा हो जाता है जिससे रक्त संचारण की गति धीमी पड़ जाती है व्यायाम करने से रक्त द्रवित हो जाता है संचारण गति तेज हो जाती है।जिससे गरिष्ठ भोजन द्वारा प्राप्त फालतू कैलोरीज की खपत हो जाती हैशरीर में चर्बी नहीं जमने पाती मोटापा बढ़ने नहीं पाता।
शुद्ध हवा तथा धूप का सेवन भी करें हवा , ठंड में भी कमरे में खुली तथा शुद्ध हवा आने के स्त्रोतों को पूरी तरह बंद न करें ।सीधी हवा न लें परंतु शुद्ध हवा शयन कक्ष में अवश्य आनी जरूरी है कारण शुद्ध हवा में ऑक्सीजन के रहने से फेफडों में रक्तशुधिकरण सुचारू रूप से होता है तथा चयापचन की गति धीमी नहीं पडती हम बराबर फुर्तीले बने रहते हैं। हाल ही में शोधों से पता है कि पर्याप्त मात्रा में धूप न मिल पाने से डिप्रेशन बढता है ,मनुष्य गुमसुम सा रहता है फुर्तीलापन नहीं हो पाता है ।पाचनक्रिया की दर में गिरावट आती है आहार से प्राप्त उर्जा की खपत (कैलोरी बर्न) नहीं हो पाती है जिससे शरीर में वसा का जमाव बढ दाता है और मोटापा बढने लगता है।
मोटापा कम करने के कुछ कारगर उपाय,
सोयाबीन मोटापा घटाता है,
सोयाबीन पर किये गये शोध से पता चला है कि सोयाबीन में प्रचुर मात्रा मे प्रोटीन उपलब्ध होता है इसमें पाया जाने वाला आइसोफ्लेवंस नामक प्रोटीन शरीर में जमी चर्बी के भंडार को कम करके मांसपेशियों को मजबूती देता है तथा चर्बी के भंडारण को कम करके मांसपेशियों को मजबूती देता है चर्बी वाली कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में अहम भूमिका निभाता है।सोयाबीन महिलाओं में मीनोपॉज के दौरान चर्बी हीन उत्तकों के क्षय को भी रोकता है। सोयाबीन के इन्हीं गुणों के कारण मोटापे के शिकार लोगों के लिये सोयाबीन एक रामबाण दवा के समान सिद्ध माना गया है।तो सोयाबीन को अपने आहार में अवश्य शामिल करें।
नींबू, एक ग्लास पानी में एक नींबू निंचोडकर रोज सुबह बासी मुंह पियें यदि सर्दियों में मोटापा कुछ बढ़ गया हो तो गर्मी भर दो मास नींबू पानी पियें इससे आंतरिक चर्बी घट जायेगी।
शहद,शहद मोटापा कम करके शरीर को छरहरा बनाता है मोटापे में शक्कर की जगह शहद इस्तेमाल करें यदि डायबिटीस न हो तो।दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी में डालकर एक बडा चम्मच नींबू का रस गुनगुने पानी में डालकर सूबह शाम रोजाना पियें तथा खानपान पर भी ध्यान रखें मोटापा कम अवश्य होगा ।
दही, दही खाने से शरीर की फालतू चर्बी घटती है।यदि मोटापा आ भी गया हो तो रोज दही खायें तथा मट्ठा पियें दिन में दो तीन बार।
मूली ,दो बड़ा चम्मच मूली का रस में शहद मिलाकर बराबर मात्रा में पानी के साथ सेवन करें डेढ़ माह तक। मोटापा अवश्य कम होगा।
व्यायाम, नियमित रूप से व्यायाम किया जाये ,जैसे साइकलिंग,जॉगिंग,सीढ़ी चढ़ना उतरना,रस्सी कूदना,टहलना घूमना, इस तरह के व्यायाम करते रहने से वजन घटाया जा सकता है। इसके साथ साथ उपर बताए गये तरीके से खानपान के अनुसार चलें तो स्वस्थ एंव छरहरे बने रह सकते हैं।
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